परिचय

आर्य समाज भारत का एक महान धार्मिक और सामाजिक संगठन है जिसकी स्थापना महर्षि दयानंद ने सन् 1875 में की थी। इसकी स्थापना “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” की भावना से वेदों और वैदिक संस्कृति की रक्षा एवं प्रचार-प्रसार हेतु की गई थी। आर्य समाज ने सत्य सनातन वैदिक धर्म की रक्षा, जातिगत भेदभाव का उन्मूलन, महिला शिक्षा, अंधविश्वास विरोध और धार्मिक सुधारों के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य किए हैं। यह संगठन ऋषि दयानंद सरस्वती और योगिराज श्रीकृष्ण जैसे महापुरुषों के संदेशों का प्रचार करता है।

वर्तमान में आर्य समाज भारत और 45 देशों में सक्रिय है, जहां इसकी शाखाओं के माध्यम से वैदिक संस्कृति और सत्य धर्म का प्रचार-प्रसार हो रहा है।

आर्य समाज की एक शाखा द्वारका (नई दिल्ली) में भी सक्रिय है। यह संस्था वर्ष 2015 से पंजीकृत संगठन के रूप में कार्यरत है। वर्तमान में इसका संचालन सेक्टर-11, द्वारका स्थित जेवन पार्क सोसाइटी, प्लॉट नंबर 5 से किया जा रहा है।

महर्षि दयानंद की कृपा से संस्था को सेक्टर-17 द्वारका में भूमि आवंटित हो चुकी है, जहां शीघ्र एक भव्य आर्य समाज मंदिर का निर्माण किया जाएगा।

महर्षि दयानंद के प्रेरक विचार:

साप्ताहिक वैदिक यज्ञ-प्रवचन सत्र:

हर रविवार को विद्वानों के सान्निध्य में वैदिक यज्ञ, भजन, ध्यान एवं वेदों पर प्रवचन होते हैं। यह सत्र सामूहिक सहभागिता के साथ द्वारका एवं आसपास के क्षेत्रों में भी आयोजित किए जाते हैं।

स्थान: रमन विहार सोसायटी, सेक्टर-11, द्वारका, प्रातः 7:30 से 9:30 तक।

घर-घर वैदिक यज्ञ:

कोई भी व्यक्ति अपने घर में किसी भी अवसर (जन्मदिन, वर्षगाँठ, पुण्य स्मृति आदि) पर निशुल्क यज्ञ करवा सकता है।

संपर्क: 9873242447, 9560631667

योग सत्र:

समय-समय पर योग अभ्यास और प्रशिक्षण शिविर आयोजित होते हैं। संस्था अन्य संगठनों के योग कार्यक्रमों में भी भाग लेती है।

महिला आर्य समाज का संचालन:

महिलाओं द्वारा संचालित महिला आर्य समाज प्रत्येक शनिवार को विभिन्न परिवारों में यज्ञ व प्रवचन करती है।

विशेष कार्यक्रम:

हर वर्ष वार्षिक उत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें वेद, गीता व रामायण पर आधारित प्रवचन व भजन होते हैं।

स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, जनमाष्टमी आदि राष्ट्रीय और धार्मिक अवसरों पर भी कार्यक्रम होते हैं।

बच्चों व युवाओं के लिए गतिविधियाँ:

“संस्कारशाला” के माध्यम से बच्चों व युवाओं के व्यक्तित्व विकास हेतु योग, ध्यान, भजन, भाषण, पोस्टर आदि गतिविधियाँ होती हैं।

इच्छुक अभिभावक ईमेल या मोबाइल पर बच्चों का नाम पंजीकृत करवा सकते हैं।

सामाजिक सेवा व धर्मार्थ कार्य:

संस्था निरंतर जनकल्याण व धार्मिक उद्देश्यों के लिए कार्यरत है। जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है।

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